मकर संक्रांति 15/01/2023 का पुण्य और महापुण्य काल समय
श्रद्धा और सबूरी यही तो जीवन का मूलमंत्र है - (Shraddha and Saburi)
साईं बाबा ने श्रद्धा और सबूरी के रूप में दिया है। जीवन जीने का मूलमंत्र है
श्रद्धा हमें सही राह पर लाती है और संयम पथभ्रष्ट नहीं होने देता। यही तो जीवन का मूलमंत्र है, जो हमें शिरडी के साईं बाबा ने श्रद्धा और सबूरी के रूप में दिया है।
कृपया इसे भी पढ़ें :--- साईबाबा की कहानी . बाघ की समाधि
विजयादशमी के दिन शिरडी के संत साईंबाबा का महाप्रयाण दिवस मनाया जाता है। बाबा ने हमें श्रद्धा और सबूरी (सब्र) के रूप में ऐसे दो दीप दिए हैं, जिन्हें यदि हम अपने जीवन में ले आएं, तो उजाला पैदा कर सकते हैं। श्रद्धा हमेशा व्यक्ति को सही रास्ते की ओर ले जाती है, वहीं संयम से वह उस रास्ते पर टिका रह पाता है।
कृपया इसे भी पढ़ें :--- साईं कष्ट निवारण मंत्र
जब हम अपने लक्ष्य से भटकने लगते हैं, तब संत ईश्वर के संदेशवाहक बनकर सही मार्ग दिखाते हैं। संतों की श्रृंखला में शिरडी के साईं बाबा का नाम विख्यात है। 15 अक्टूबर 1918 को विजयादशमी के पर्व पर साईंबाबा ने महाप्रयाण किया, किंतु उनका उपदेश श्रद्धा और सबूरी आज भी हमें जीवन जीने की कला सिखा रहा है।
कृपया इसे भी पढ़ें :--- साईं बाबा के इस विशेष मंत्र का गुरुवार को कर लें जाप, जाग उठेगी सोई किस्मत
श्रद्धा ईश्वर तक पहुंचने की सीढ़ी है। शास्त्रों में लिखा है कि भक्त को भगवान से मिलाने की क्षमता केवल श्रद्धा में ही है। ईश्वर आडंबर से नहीं, बल्कि सच्ची श्रद्धा से ही सुलभ होता है। श्रीमद्भागवद्गीता (4-39) में कहा गया है- श्रद्धावांल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेंद्रिय:। ज्ञानं लब्धवा परां शांतिमचिरेणाधिगच्छति।। अर्थात श्रद्धावान मनुष्य जितेंद्रिय साधक बनकर तत्वज्ञान प्राप्त करता है और तत्काल ही भगवत्प्राप्ति के रूप में परम शांति पा लेता है।
कृपया इसे भी पढ़ें :--- कुलदेवी/देवता की पूजा क्यू करना चाहीये
श्रद्धा के बिना विवेकहीन व्यक्ति संशयग्रस्त होकर पथभ्रष्ट हो जाता है। गीता के अनुसार - अज्ञश्चाश्रद्धानश्च संशयात्मा विनश्यति। नायं लोकोस्ति न परो न सुखं संशयात्मन:।। अर्थात श्रद्धारहित विवेकहीन संशययुक्त मनुष्य परमार्थ से पथभ्रष्ट हो जाता है। ऐसे मनुष्य के लिए न यह लोक है, न परलोक है और न ही सुख है।
कृपया इसे भी पढ़ें :--- Mangalwar Ke 5 Upay: मंगलवार के 5 उपाय,
यह सच है कि श्रद्धा की शक्ति के बिना मानव शंकाओं में भटककर विवेकहीन हो जाता है। तब वह जीवन के लक्ष्य से दूर हो जाता है। यह श्रद्धा सभी व्यक्तियों में समान रूप से नहीं हो सकती, क्योंकि यह उनके अंत:करण के अनुरूप होती है। गीता (17-2) इस बारे में प्रकाश डालती है- त्रिविधा भवति श्रद्धा देहिनां सा स्वभावजा। सात्विकी राजसी चैव तामसी चेतितां श्रृणु।। अर्थात मनुष्य के स्वभाव से उत्पन्न श्रद्धा सात्विक, राजसिक और तामसिक तीन प्रकार की होती है। कर्र्मो के संस्कार मनुष्य का स्वभाव बनाते हैं। अपने भिन्न स्वभाव के कारण मनुष्य सात्विक, राजसिक और तामसिक होता है। अर्थात श्रद्धा मनुष्य के स्वभाव के अनुरूप ही होती है।
कृपया इसे भी पढ़ें :--- साईं बाबा Status In HINDI For Whatsapp
ऋषियों ने कहा है कि जिसकी जैसी श्रद्धा होती है, उसे उसी के अनुरूप परिणाम मिलता है। श्रद्धा ही पत्थर को शिव बना देती है। श्रद्धा भावनात्मक संबंधों की संजीवनी है।
कृपया इसे भी पढ़ें :--- Whatsapp
साईंबाबा का दूसरा उपदेश है - सबूरी यानी सब्र या संयम। आज हमारे भीतर संयम की ताकत बहुत कम हो गई है। हम अपने हर काम का परिणाम तत्काल चाहते हैं। हम अपनी हर इच्छा तुरंत पूरी होते देखना चाहते हैं। संयम खो देने पर बड़ा योगी भी पतित हो जाता है। हमें अपने मन, वचन और कर्म तीनों पर संयम का अंकुश लगाना चाहिए। गीता में संयम का पाठ पढ़ाते हुए यह संकेत दिया गया है कि इंद्रियां बड़ी चंचल हैं। इनको जीतना अत्यंत कठिन है, किंतु यह दुष्कर कार्य संयम के बल से किया जा सकता है।
हमारी अधिकांश समस्याएं संयम के अभाव से ही उत्पन्न हुई हैं। संयम खो देने पर महायोगी भी साधारण बन जाता है। संतों ने हमेशा यही शिक्षा दी है कि सब्र का फल मीठा होता है, अत: हर एक को संयमशील बनना चाहिए। संयम का कवच हमें विपत्तियों के प्रहार से बचाता है। साईं बाबा ने श्रद्धा के साथ सबूरी को जोड़कर हमें ऐसा ब्रहृामास्त्र दे दिया है, जिससे हम हर स्थिति में निपट सकते हैं। यह उपदेश मानव के लिए सफलता का वह महामंत्र है, जो हर युग में प्रासंगिक एवं जनोपयोगी बना रहेगा।
*🌹🙏🌹अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज
परब्रह्म श्री सचिदानंद सतगुरु साईनाथ महाराज की जय 🌹🙏🌹* *
🌹🙏🌹Anant koti Brahmaand nayak Rajadhiraj yogiraj
Parbraham shri Sachidanand Sadguru Sainath Maharaj Ji ki Jai
*🌹🙏🌹🙏 Saidatt
साईं बाबा Status In HINDI For Whatsapp
अकेले चलना सिख लो जरुरी नहीं जो आज तुम्हारे साथ है
वो कल भी तुम्हारे साथ रहे ॥
श्री कृष्णावेणी उत्सव 2023 (श्री क्षेत्र नरसोबावडी)
साईं बाबा के वचन
🌷श्रद्धा का तुम पाठ पढ़ा दो सबर का दे दो ज्ञान,इन चरणों में गुजरे जीवन दो ऐसा वरदान साई रहम नजर करना ,मेरे बाबा रहम नजर करना, जय साईं बाबा🌷🙏🏻🌷ॐ साईं श्री साईं 🌷🙏🏻 🌷
🌷सुख भी कटता दुःख भी कटता,कटते दिन और रात,बाबा में रक्षा करना थामे रहना हाथ साई रहम नजर करना ,मेरे बाबा रहम नजर करना🌷🙏🏻🌷ॐ साईं श्री साईं
|| अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्मश्री सचिदानंद सतगुरु साईनाथ महाराज की जय ||☘️🌼🌻🕉️ साई राम🌸☘️🌼
‼️🕉️ *श्री साईनाथाय नमः*‼️*नित्य साई जिवंत जाणा हेंची सत्य।**नित्य घ्या प्रचीत अनुभवे ।।**शरण साईंसी आला आणि वाया गेला ।**दाखवा दाखवा ऐसा कोणी ।।*
परब्रम्ह श्री सच्चीदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज की जय*
🙏🏻🌷दर्शन दो दर्शन दो साई बाबा दर्शन दो,डगमग डोलती नइयाँ आ के बनो तुम साई खवइयां,सुन लो तुम मेरी पुकार,ओ सब के तुम पालनहार,दर्शन दो दर्शन दो साई बाबा दर्शन दो,दर्शन देकर कृतज्ञ करो साईं🌷🙏🏻* *🙏🏻🌷ॐ साईं राम 🌷🙏🏻
मेरे *श्री साॅंई बाबा जी* कहते हैं कि
साईं बाबा के इस विशेष मंत्र का गुरुवार को कर लें जाप, जाग उठेगी सोई किस्मत
अंगारकी चतुर्थी 10 जनवरी 2023को, 27 सालों बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी
मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकटा चौथ या संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार संकष्टि चतुर्थी 10 जनवरी मंगलवार को होने से अंगारकी चतुर्थी कहलाएगी। वर्ष भर में आने वाली चतुर्थी में यह चतुर्थी सबसे बड़ी है। मंगलवार को नक्षत्र की अनुकुलता के कारण चतुर्थी सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रही है। इस योग में की गई साधना उपासना मनोवांछित फल प्रदान करती है।
मंगलवार के दिन आश्लेषा नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होता है। साथ ही मंगलवार के दिन चतुर्थी आने से अंगारकी चतुर्थी का योग बनता है। इस दौरान कन्या अथवा बालक के शुभ विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो इस दिन का उपयोग कर लेने से अर्थात भगवान गणपति माता चौथ का पूजन करने से संकट बाधा निवृत्त हो जाते है। कार्य सिद्ध होता है। पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि 12 मास में आने वाली 24 चतुर्थीयों में 12 कृष्ण पक्ष की और 12 शुक्ल पक्ष की चतुर्थी होती है। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। माघ मास में आने वाली चतुर्थी बड़ी मानी जाती है। इस दृष्टि से इस व्रत को महिलाएं करती है।
अंगारकी चतुर्थी का समय
मंगलवार, जनवरी 10, 2023 को
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय 🌙 - 09:04 पी एम
🤞🤞🤞🤞🤞🤞🤞🤞🤞🤞🤞🤞
चतुर्थी मंगलवार को होने से यह अंगारकी चतुर्थी होगी। इस दिन प्रसिद्ध श्री मंगलनाथ मंदिर में विवाह आदि में आ रही बाधा दूर करने के लिए भगवान मंगलनाथ की भात पूजन कराने का विधान है। देशभर के भक्त इस दिन श्री मंगलनाथ और शिप्रा तट स्थित श्री अंगारेश्वर मंदिर में पूजन कराने पहुंचते है। इसी तरह श्री चिंतामन गणेश मंदिर, मंछामन गणेश मंदिर, सिद्धिविनायक गणेश मंदिरों में भगवान गणेश का पूजन करने के लिए श्रद्धालु उमड़ेगें।
नक्षत्रों की गणना में वर्षों बाद बना संयोग
इस बार अश्लेषा नक्षत्र में मंगलवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में अंगारकी चतुर्थी होने से यह विशेष प्रबल हो गई है। इस तरह का संयोग नक्षत्र मंडल की गणना से देखें तो 27 वर्ष के बाद बनता है। इस लिए व्रत के दिन विशिष्ट अनुष्ठान करना चाहिए।
साईबाबा की कहानी . बाघ की समाधि
8 अक्टूबर वह दिन होता है जब एक बाघ श्री साईं बाबा के चरणों और दिव्य उपस्थिति में अपनी मृत्यु से मिलता था और वर्ष 1918 में उनकी समाधि से सिर्फ सात दिन पहले मुक्त हो गया था।
#बाघ की समाधि
शरद पूर्णिमा पर करें ये अचूक उपाय,
बाबा ने मनुष्यों को ही नहीं, पशुओं को भी सद्गति दी।
उस समय बाबा के बगल में ज्योतिंद्र तारकड़ बैठे थे। बाद में, उन्होंने बाबा से पूछा कि बाघ और उनके बीच क्या हुआ था। बाबा ने उत्तर दिया, "वह बाघ अपनी बीमारी से भयानक पीड़ा से तड़प रहा था, और उससे मुक्त होने की याचना कर रहा था। मुझे इसके लिए बहुत दया आई इसलिए मैंने अल्लाह मिया से इसे फिर से जीवित करने और इसे मोक्ष प्रदान करने के लिए कहा। अब वह बाघ जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गया है। इसलिए मैंने उन्हें महादेव के मंदिर के सामने दफनाने के लिए कहा।
बाघ की मूर्ति
यह मूर्ति उस पत्थर के दाहिनी ओर है जिस पर बाबा विराजमान थे। इसे संस्थान द्वारा 12.11.1969 को स्थापित किया गया था और ओजर गांव के त्र्यंबकराव श्रीपथराव शिलाधर द्वारा प्रस्तुत किया गया था।