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मकर संक्रांति 15/01/2023 का पुण्य और महापुण्य काल समय





*🕉️ मकर सक्रांति 🕉️* 
 *15 जनवरी 2023 रविवार* 
 
*इस साल मकर संक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी 2023 रविवार के दिन मनाया जाएगा।* 

 ये सूर्य की उपासना का पर्व है, सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने पर खरमास की भी समाप्ति हो जाती है और सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।
 पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं और ऐसे शुभ संयोग में मकर संक्रांति पर स्नान, दान, मंत्र जप और सूर्य उपासना से अन्य दिनों में किए गए दान-धर्म से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।।

*🔯आइए जानते हैं मकर संक्रांति का पुण्य और महापुण्य काल समय-:* 

*सूर्य का मकर राशि में प्रवेश-:* 
14 जनवरी 2023 शनिवार को
रात 08.57 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

*मकर संक्रांति 15/01/2023 का पुण्य और महापुण्य काल समय 

*🔯 पुण्य-महापुण्य काल का महत्व-:* 
मकर संक्रांति पर पुण्य और महापुण्य काल का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं. मकर संक्रांति के पुण्य और महापुण्य काल में गंगा स्नान, सूर्योपासना,दान, मंत्र जप करने व्यक्ति के जन्मों के पाप धुल जाते है।

*स्नान---:* 
मकर सक्रांति वाले दिन सबसे पहले प्रातः किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, यदि यह संभव ना हो सके तो अपने नहाने के जल में थोड़ा गंगाजल डालकर स्नान करें।।

*सूर्योपासना---:* 
प्रातः स्नान के बाद उगते हुए सूर्य नारायण को तांबे के पात्र में जल, गुड, लाल पुष्प, गुलाब की पत्तियां, कुमकुम, अक्षत आदि मिलाकर जल अर्पित करना चाहिए।

 *गायत्री मंत्र जप--:* 
 सूर्य उपासना के बाद में कुछ देर आसन पर बैठकर गायत्री मंत्र के जप करने चाहिए, अपने इष्ट देवी- देवताओं की भी उपासना करें।।

 *गाय के लिए दान---:* 
पूजा उपासना से उठने के बाद गाय के लिए कुछ दान अवश्य निकालें जैसे- गुड, चारा इत्यादि।

*पितरों को भी करे याद-:* 
इस दिन अपने पूर्वजों को प्रणाम करना ना भूलें, उनके निमित्त भी कुछ दान अवश्य निकालें। 
इस दिन पितरों को तर्पण करना भी शुभ होता है। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

*गरीब व जरूरतमंदों के लिए दान-:* 
इस दिन गरीब व जरूरतमंदों को जूते, चप्पल, (चप्पल-जूते चमड़े के नहीं होने चाहिए) अन्न, तिल, गुड़, चावल, मूंग, गेहूं, वस्त्र, कंबल, का दान करें। ऐसा करने से शनि और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।।

*परंपराओं का भी रखें ध्यान-:*
 मकर सक्रांति का त्यौहार मनाने में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग- अलग परंपराएं हैं, अतः आप अपनी परंपराओं का भी ध्यान रखें। अर्थात अपने क्षेत्रीय रीति-रिवाजों के अनुसार मकर संक्रांति का त्यौहार मनाए।।
 
*गायत्री मंत्र-:* 
इस साल मकर संक्रांति बेहद खास मानी जा रही है, क्योंकि रविवार और मकर संक्रांति दोनों ही सूर्य को समर्पित है। इस दिन गायत्री मंत्र जप व गायत्री हवन करना विशेष लाभकारी रहेगा।।
सूर्य गायत्री मंत्र का जाप भगवान सूर्य देव के लिया किया जाता है। इस मंत्र के जाप से सूर्य भगवान को प्रसन्न और उनका आशीर्वाद पाने के लिया किया जाता है। इस मंत्र का जाप सुबह सुबह करनी चाहिए। इसके अधिकतम प्रभाव के लिए इस गायत्री मंत्र का मतलब समझना चाहिए।

ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयत।।

ओम, मुझे सूर्य देव का ध्यान करें,
ओह, दिन के निर्माता, मुझे उच्च बुद्धि दें,
और सूर्य देव मेरे मन को रोशन करें।

मेरे सम्पूर्ण परिवार की तरफ से सभी को मकर संक्रांति (खिचड़ी संक्रांति) पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं हम भगवान सूर्य नारायण जी से प्रार्थना करते हैं की जिस प्रकार मकर राशि में सूर्य नारायण का तेज बढता है उसी प्रकार सम्पूर्ण विश्व का तेज बढ़े सभी लोग स्वस्थ सुंदर और दीर्घायु हो यही कामना भगवान सूर्य नारायण जी से करता हुं।





श्रद्धा और सबूरी यही तो जीवन का मूलमंत्र है - (Shraddha and Saburi)



 


साईं बाबा ने श्रद्धा और सबूरी के रूप में दिया है। जीवन जीने का मूलमंत्र है


श्रद्धा हमें सही राह पर लाती है और संयम पथभ्रष्ट नहीं होने देता। यही तो जीवन का मूलमंत्र है, जो हमें शिरडी के साईं बाबा ने श्रद्धा और सबूरी के रूप में दिया है।


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विजयादशमी के दिन शिरडी के संत साईंबाबा का महाप्रयाण दिवस मनाया जाता है। बाबा ने हमें श्रद्धा और सबूरी (सब्र) के रूप में ऐसे दो दीप दिए हैं, जिन्हें यदि हम अपने जीवन में ले आएं, तो उजाला पैदा कर सकते हैं। श्रद्धा हमेशा व्यक्ति को सही रास्ते की ओर ले जाती है, वहीं संयम से वह उस रास्ते पर टिका रह पाता है।

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जब हम अपने लक्ष्य से भटकने लगते हैं, तब संत ईश्वर के संदेशवाहक बनकर सही मार्ग दिखाते हैं। संतों की श्रृंखला में शिरडी के साईं बाबा का नाम विख्यात है। 15 अक्टूबर 1918 को विजयादशमी के पर्व पर साईंबाबा ने महाप्रयाण किया, किंतु उनका उपदेश श्रद्धा और सबूरी आज भी हमें जीवन जीने की कला सिखा रहा है।

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श्रद्धा ईश्वर तक पहुंचने की सीढ़ी है। शास्त्रों में लिखा है कि भक्त को भगवान से मिलाने की क्षमता केवल श्रद्धा में ही है। ईश्वर आडंबर से नहीं, बल्कि सच्ची श्रद्धा से ही सुलभ होता है। श्रीमद्भागवद्गीता (4-39) में कहा गया है- श्रद्धावांल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेंद्रिय:। ज्ञानं लब्धवा परां शांतिमचिरेणाधिगच्छति।। अर्थात श्रद्धावान मनुष्य जितेंद्रिय साधक बनकर तत्वज्ञान प्राप्त करता है और तत्काल ही भगवत्प्राप्ति के रूप में परम शांति पा लेता है।

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श्रद्धा के बिना विवेकहीन व्यक्ति संशयग्रस्त होकर पथभ्रष्ट हो जाता है। गीता के अनुसार - अज्ञश्चाश्रद्धानश्च संशयात्मा विनश्यति। नायं लोकोस्ति न परो न सुखं संशयात्मन:।। अर्थात श्रद्धारहित विवेकहीन संशययुक्त मनुष्य परमार्थ से पथभ्रष्ट हो जाता है। ऐसे मनुष्य के लिए न यह लोक है, न परलोक है और न ही सुख है।

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यह सच है कि श्रद्धा की शक्ति के बिना मानव शंकाओं में भटककर विवेकहीन हो जाता है। तब वह जीवन के लक्ष्य से दूर हो जाता है। यह श्रद्धा सभी व्यक्तियों में समान रूप से नहीं हो सकती, क्योंकि यह उनके अंत:करण के अनुरूप होती है। गीता (17-2) इस बारे में प्रकाश डालती है- त्रिविधा भवति श्रद्धा देहिनां सा स्वभावजा। सात्विकी राजसी चैव तामसी चेतितां श्रृणु।। अर्थात मनुष्य के स्वभाव से उत्पन्न श्रद्धा सात्विक, राजसिक और तामसिक तीन प्रकार की होती है। कर्र्मो के संस्कार मनुष्य का स्वभाव बनाते हैं। अपने भिन्न स्वभाव के कारण मनुष्य सात्विक, राजसिक और तामसिक होता है। अर्थात श्रद्धा मनुष्य के स्वभाव के अनुरूप ही होती है।


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ऋषियों ने कहा है कि जिसकी जैसी श्रद्धा होती है, उसे उसी के अनुरूप परिणाम मिलता है। श्रद्धा ही पत्थर को शिव बना देती है। श्रद्धा भावनात्मक संबंधों की संजीवनी है।

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साईंबाबा का दूसरा उपदेश है - सबूरी यानी सब्र या संयम। आज हमारे भीतर संयम की ताकत बहुत कम हो गई है। हम अपने हर काम का परिणाम तत्काल चाहते हैं। हम अपनी हर इच्छा तुरंत पूरी होते देखना चाहते हैं। संयम खो देने पर बड़ा योगी भी पतित हो जाता है। हमें अपने मन, वचन और कर्म तीनों पर संयम का अंकुश लगाना चाहिए। गीता में संयम का पाठ पढ़ाते हुए यह संकेत दिया गया है कि इंद्रियां बड़ी चंचल हैं। इनको जीतना अत्यंत कठिन है, किंतु यह दुष्कर कार्य संयम के बल से किया जा सकता है।




हमारी अधिकांश समस्याएं संयम के अभाव से ही उत्पन्न हुई हैं। संयम खो देने पर महायोगी भी साधारण बन जाता है। संतों ने हमेशा यही शिक्षा दी है कि सब्र का फल मीठा होता है, अत: हर एक को संयमशील बनना चाहिए। संयम का कवच हमें विपत्तियों के प्रहार से बचाता है। साईं बाबा ने श्रद्धा के साथ सबूरी को जोड़कर हमें ऐसा ब्रहृामास्त्र दे दिया है, जिससे हम हर स्थिति में निपट सकते हैं। यह उपदेश मानव के लिए सफलता का वह महामंत्र है, जो हर युग में प्रासंगिक एवं जनोपयोगी बना रहेगा।


*🌹🙏🌹अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज

परब्रह्म श्री सचिदानंद सतगुरु साईनाथ महाराज की जय 🌹🙏🌹*             *

🌹🙏🌹Anant koti Brahmaand nayak Rajadhiraj yogiraj 

Parbraham shri Sachidanand Sadguru Sainath Maharaj Ji ki Jai

*🌹🙏🌹🙏 Saidatt



साईं बाबा Status In HINDI For Whatsapp


साईं बाबा Status In HINDI For Whatsapp
 हमने यहाँ पर अलग अलग तरह के और नए डिज़ाइन के कई साईं बाबा स्टेटस share किये हैं ,
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साईं नाम लेते रहो बिगड़ा काम संवर जाएगा तुमको पता भी नहीं चलेगा 

और बुरा वक्त गुजर जाएगा।

                                         अकेले चलना सिख लो जरुरी नहीं जो आज तुम्हारे साथ है 

                                                              वो कल भी तुम्हारे साथ रहे ॥


सुकून की तलाश में हम कहां कहां मगर 
                                  
                                              जो सुकून SAI तेरे दीदार में है कहीं ओर कहां भटके




SAINATHAY NAMHAA
उसकी इजाजत के बिना पुत्ता भी नहीं हिलता और ये बात इंसान समझ कर भी नहीं समझता
SAIDATT !! ॐ साई राम !!


 


जब मैं बुरे हालातों से घबराता हूँ

तभी साई की आवाज़ आती है

रुक मैं अभी आता हूँ


साईंनाथाय नमः
श्रद्धा रखना और सब्र से काम करते रहना
ईश्वर जरुर भला करेगा। साईं दत्त





एक फूल भी 
  अक्सर बाग़ सजा देता है.....
  एक सितारा
   संसार की चमका देता है....
  जहाँ दुनिया भर के रिश्ते  
   काम नहीं आते

    वहाँ मेरा साई 
    जिन्दगी सवार देता है..
*आज के श्री साई बाबा दर्शन*
       ॐ साई राम जी🙏




साईंनाथाय नमः
saidatt
ॐ साईराम
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना...




मैं अच्छे इन्सानों का इम्तिहान लेता हूँ पर साथ कभी नहीं छोड़ता




ॐ साईराम
रोज़ गलती करता हूं, तू छुपाता है अपनी बरकत से,
 मैं मजबूर अपनी आदत से, तू मशहूर अपनी रहमत से!







जिंदगी से एक ही बात सीखी है,, ईश्वर से उम्मीद लगाने वाला हर शख्स कामयाब होता है !







श्री साईनाथ महाराज आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें
श्रद्धा
सबूरी
सबका मालिक एक
अनंत कोटी ब्रम्हांडनायक राजाधिराज योगीराज
 परं ब्रम्हं श्री सच्चिदानंद सदगुरु श्री साईनाथ महाराज





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श्री कृष्णावेणी उत्सव 2023 (श्री क्षेत्र नरसोबावडी)



"मच्चिता चिंती साची तू वाडी नरसोबाची असा श्री क्षेत्र नरसोबावाडीचा अलौकिक महिमा प्रेमभराने गाणारे व श्री क्षेत्र नृसिंहवाडीचे आम्ही आहोत" असे स्वानंदाने सांगणारे श्रीमत् प. प. वासुदेवानंद सरस्वती टेंब्ये स्वामी महाराज वाडी क्षेत्री एकदा वास्तव्यास असताना आपल्या अतिशय प्रिय पुजारी वाडीकर भक्तजनांना श्रीकृष्णा-पंचगंगेच्या अनादि संगमावर श्रीकृष्णा मातेचे अगाध माहात्म्य आपल्या देववाणीतून प्रकट करीत असतानाच एक "कनकी नामक देववृक्षाचे श्रीकृष्णावेणीचे अमूर्त स्वरूप वाहत आल्याचे त्रिकाल ज्ञानी महाराजांच्या ऋतंभरा प्रज्ञेस ज्ञात झाले भावावस्था प्राप्त महाराजांनी एका भक्ताकरावी या कृष्णेच्या अमूर्त स्वरूपास आपल्याजवळ आणले. प. प. स्वामींना त्रिपुरसुंदरी श्रीकृष्णावेणी मातेने जे मनोहरी दर्शन दिले त्याप्रमाणे या 'श्रीकृष्णावेणीच्या' अमूर्त स्वरूपाला अतिशय सुंदर असे मूर्ती स्वरूप देण्यात आलेतीच ही आपली सर्वांची जीवनदायिनी श्री कृष्णावेणी माता...

श्री दत्तात्रेयांचे द्वितीय अवतार श्रीमन नृसिंहसरस्वती स्वामी महाराजांच्या बारावर्षांच्या तपःसाधनेने पावनमय झालेल्या कृष्णा-पंचगंगा संगमावरील श्री नृसिंहवाडी क्षेत्री प.प. थोरले (स्वामी (टेंब्ये स्वामी) महाराजांच्या सत्यसंकल्पाने श्रीकृष्णावेणी मातेचा उत्सव होत आहे.

श्रीकृष्ण वेणी मातेचा उत्सव वेळापत्रक खालील प्रमाणे 

|| श्री कृष्णावेणी प्रसन्न ||

स.न.वि.वि. प्रतिवर्षाप्रमाणे

श्री कृष्णावेणी उत्सव - २०२३ श्री क्षेत्र नृसिंहवाडी येथे मिती माघ शु. ७ (रथसप्तमी) शनिवार दि. २८ जानेवारी ते माघ कृ. ॥। १ सोमवार दि. ६ फेब्रुवारी २०१३ अखेर १० दिवस साजरा होणार आहे.

उत्सव प्रसंगी होणारे नित्य कार्यक्रम
सकाळी ७.०० वा.
सकाळी ८.०० वा. : ऋक्संहिता, ब्राह्मण आरण्यक्, श्री गुरुचरित्र, कृष्णा माहात्म्य,

श्रीमद् भागवत, श्रीसूक्त, रुद्रैकादशिनी, सप्तशती इ. पारायणे आरती
दुपारी १:०० वा.
: श्री. एकवीरा भगिनी मंडळ, श्री क्षेत्र नृसिंहवाडी यांचे
दुपारी ३:०० ते ४:००
"श्री कृष्णालहरी पठण
सायं. ४.०० ते ५.०० वा.
: वे. मू. श्री. हरी नारायण पुजारी (चोपदार), नृसिंहवाडी यांचे 'श्री कृष्णालहरी पुराण" 
रात्री ८.०० वा.पूजा
 अर्चा : आरती व मंत्रपुष्प

विशेष कार्यक्रम

शनिवार, दि. २८ जानेवारी २०२३
सायं. ५ वा.
श्री. प्रसाद शेवडे, देवगड यांचे 'गायन'
रात्री ९:३० वा. ह. भ. प. श्री. नंदकुमारबुवा कर्वे, पनवेल यांचे 'सुश्राव्य कीर्तन'

रविवार, दि. २९ जानेवारी २०२३
सायं. ५ वा. श्री. भाग्येश मराठे, मुंबई यांचे 'गायन'
रात्रौ. ९:३० वा. ह.भ.प.श्री.नंदकुमारबुवा कर्वे, पनवेल यांचे 'सुश्राव्य कीर्तन'

सोमवार, दि. ३० जानेवारी २०२३
सायं. ५ वा.
सौ. मृणाल नाटेकर - भिडे, मुंबई यांचे 'गायन' रात्री ९:३० वा. ह. भ. प. श्री. नंदकुमारबुवा कर्वे, पनवेल यांचे 'सुश्राव्य कीर्तन'

मंगळवार, दि. ३१ जानेवारी २०२३
श्री. सुभाष परवार, गोवा यांचे 'गायन'
सायं. ५ वा. रात्रौ ९:३० वा. ह. भ. प. श्री. नंदकुमारबुवा कर्वे, पनवेल यांचे 'सुश्राव्य कीर्तन'

बुधवार, दि. १ फेब्रुवारी २०२३
सकाळी 8 वा. " श्री विष्णुयाग"
सायं. ५ वा. ह. भ. प. श्री. नंदकुमारबुवा कर्वे, पनवेल यांचे 'सुश्राव्य कीर्तन'
रात्रौ ८ वा. " मंत्रजागर " रात्री ९:३० वा. " गर्जली स्वातंत्र्य शाहिरी " सादरकर्ते आचार्य शाहीर हेमंतराजे पु. मावळे आणि सहकारी, (नानिवडेकर- हिंगे मावळे शाहिरी घराण्याचे उत्तराधिकारी) पुणे

गुरुवार, दि. २ फेब्रुवारी २०२३
सायं. ५ वा. ह. भ. प. श्री. नंदकुमारबुवा कर्वे, पनवेल यांचे 'सुश्राव्य कीर्तन रात्रौ ९:३० वा. पं. श्री. शौनक जितेंद्र अभिषेकी, पुणे यांचे 'गायन'

शुक्रवार, दि. ३ फेब्रुवारी २०२३
सायं. ५ वा.
ह. भ. प. श्री. नंदकुमारबुवा कर्वे, पनवेल यांचे 'सुश्राव्य कीर्तन' रात्रौ ९:३० वा. 'नाम घेऊ नाम गाऊ' भक्तिगीत गायन संकल्पना संगीत दिग्दर्शन- प्रस्तुती श्री. प्रदीप धोंड - पिंगुळी, कुडाळ. (मुंबई)

शनिवार, दि. ४ फेब्रुवारी २०२३
सायं. ५ वा. ह. भ. प. श्री. नंदकुमारबुवा कर्वे, पनवेल यांचे सुश्राव्य कीर्तन रात्री ९:३० वा. पं. श्री. रघुनंदन पणशीकर, पुणे यांचे 'गायन'

रविवार, दि. ५ फेब्रुवारी २०२३
सायं. ५ वा. ह. भ. प. श्री. नंदकुमारबुवा कर्वे, पनवेल यांचे 'सुश्राव्य कीर्तन'
रात्रौ ८ वा. श्रीमद् जगदुरु शंकराचार्य, करवीर पीठ यांचे आशीर्वचन " रात्री ९:३० वा. कु. मृदुला तांबे, पुणे यांचे 'गायन'






सोमवार, दि. ६ फेब्रुवारी २०२३
सायं. ५ वा. श्री. अतुल खांडेकर, पुणे यांचे 'गायन' 
रात्री ९:३० वा. ह. भ. प. श्री. शरद दत्तदासबुवा घाग, नृसिंहवाडी यांचे सुश्राव्य कीर्तन'












साईं बाबा के वचन



🌷श्रद्धा का तुम पाठ पढ़ा दो सबर का दे दो ज्ञान,
इन चरणों में गुजरे जीवन दो ऐसा वरदान साई रहम नजर करना , 
मेरे बाबा रहम नजर करना, जय साईं बाबा 
🌷🙏🏻🌷ॐ साईं श्री साईं 🌷🙏🏻 🌷



🌷सुख भी कटता दुःख भी कटता,कटते दिन और रात,
बाबा में रक्षा करना थामे रहना हाथ साई रहम नजर करना , 
मेरे बाबा रहम नजर करना
🌷🙏🏻🌷ॐ साईं श्री साईं 

 



|| अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म 
श्री सचिदानंद सतगुरु साईनाथ महाराज की जय ||
       ☘️🌼🌻🕉️ साई राम🌸☘️🌼



‼️🕉️ *श्री साईनाथाय नमः*‼️
*नित्य साई जिवंत जाणा हेंची सत्य।*
*नित्य घ्या प्रचीत अनुभवे ।।*
*शरण साईंसी आला आणि वाया गेला ।*
*दाखवा दाखवा ऐसा कोणी ।।*

 


*अनंतकोटी, ब्रम्हांडनायक, राजाधिराज, योगिराज, 
परब्रम्ह श्री सच्चीदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज की जय*

 


🙏🏻🌷दर्शन दो दर्शन दो साई बाबा दर्शन दो,
डगमग डोलती नइयाँ आ के बनो तुम साई खवइयां,
सुन लो तुम मेरी पुकार,ओ सब के तुम पालनहार,
दर्शन दो दर्शन दो साई बाबा दर्शन दो,
दर्शन देकर कृतज्ञ करो साईं 
🌷🙏🏻* *🙏🏻🌷ॐ साईं राम 🌷🙏🏻







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                                     साईं कष्ट निवारण मंत्र







मेरे *श्री साॅंई बाबा जी* कहते हैं कि




मेरे *श्री साॅंई बाबा जी* कहते हैं कि : ****

तुम्हारी हर समस्या का समाधान , हर संकट का निवारण , हर निराशा में आशा की किरण , हर दुःख को दूर करने की क्षमता , जीवन की हर पहेली को सुलझाने की योग्यता , जीवन के हर प्रश्न का उत्तर केवल और केवल मेरे *श्री साईं सच्चरित्र* में ही है । यदि तुम केवल इसका ही श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रतिदिन एक अध्याय ही परायण करोगे तो मनोवांक्षित फल की प्राप्ति हो जायेगी । जो भी इसका नित्य पाठ करेगा तो मेरा सानिध्य और संरक्षण उसे सदैव ही प्राप्त होता रहेगा । जो भी मेरी कथाओं का गायन और लीलाओं का श्रवण करेगा , उसकी भक्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहेगी और मेरी कृपा सदैव ही उस पर बनी रहेगी । इस महापुराण का पाठ तथा मेरे नाम का स्मरण और नाम जाप सभी आधि व्याधि , त्रय ताप को दूर कर , सुख , समृद्धि , स्वास्थ्य , उन्नति और शांति प्रदान करेगा ।

जहां होता *श्री साॅंई सच्चरित्र* का परायण ।
रहते वहां साक्षात *श्री साॅंई नारायण* ।।
जो करते *श्री साॅंई नाम का जाप* ।
 पूर्ण हो मन कामना, मिटते पाप।।
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सदा ही जपते रहिए " ॐ साॅंई श्री साॅंई जय जय साॅंई ।।"

 " ॐ साॅंई श्री साॅंई जय जय साॅंई ।।"
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साईं बाबा के इस विशेष मंत्र का गुरुवार को कर लें जाप, जाग उठेगी सोई किस्मत


साईं के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता, बस सच्चे मन से उन्हें याद कर लेना ही काफी होता है। साईं की विशेष पूजा का दिन गुरुवार होता है और इस दिन यदि भक्त साईं के विशेष मंत्रों का जाप कर लें तो उन्हें जीवन में जितने सुख मिलने हैं, उससे कहीं ज्यादा खुशियां मिलती हैं। साईं के ये मंत्र इंसान को निराशा, कष्ट और नकारात्मकता से दूर करते हैं। इन मंत्रों को जपने मात्र से इंसान के मन-मस्तिष्क में ऊर्जा व शक्ति का संचार होता है। इससे वह स्वयं कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने की राह खोज लेता है।

सुख-शांति और समृद्धि देती है साईं की पूजा

सुख-शांति और समृद्धि के लिए गुरुवार के दिन साईं बाबा की पूजा करने का बहुत महत्व होता है। गुरुवार का दिन गुरु का होता है और वह स्वयं गुरु हैं। इसलिए इस दिन उनकी पूजा कष्टों को हर कर इंसान को सुख प्रदान करने वाली होती है। साईं अपने चमत्कार के लिए जाने जाते हैं और उनके ये चमत्कार कलयुग में भी देखने को मिलते हैं। इसलिए साईं की कृपा के लिए उनके मंत्रों को निर्मल मन के साथ जपना चाहिए।
साईं ने कहा था, सबका मालिक एक है

सबका मालिक एक है, साईं ने कहा था। साईं ने अपने भक्तों से कहा था कि ईश्वर को पाने, उनकी शरण में जाने के मार्ग सबके अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन लोग जिसे पाना चाहते हैं वह एक ही है। सबका मालिक एक है। वह हर धर्म को मानने वाले थे और हर धर्म के लोग उनके भक्त थे। साईं ने भक्तों से कहा था कि वह परलोक में रह कर भी भक्तों के दर्द को दूर करने के लिए हमेशा आते रहेंगे। यही कारण है कि उनकी समाधि की सीढ़ियों पर पैर रखते ही भक्तों के कष्ट भी दूर होने लगते हैं।

तो आइए गुरुवार को साईं के इन मंत्रों का जाप जरूर करें

ॐ साईं राम
ॐ साईं गुरुदेवाय नम:
ॐ साईं देवाय नम:
ॐ शिर्डी देवाय नम:
ॐ समाधिदेवाय नम:
ॐ सर्वदेवाय रूपाय नम:
ॐ शिर्डी वासाय विद्महे सच्चिदानंदाय धीमहि तन्नो साईं प्रचोदयात
ॐ अजर अमराय नम:
ॐ मालिकाय नम:
ॐ सर्वज्ञा सर्व देवता स्वरूप अवतारा। 
ॐ साईं नमो नम:, श्री साईं नमो नम:, जय जय साईं नमो नम:, सद्गुरु साईं नमो नम

साईं के ये मंत्र आपके जीवन में खुशियों का संचार कर मानसिक परेशानी से दिलाएंगे निजात
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अंगारकी चतुर्थी 10 जनवरी 2023को, 27 सालों बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी

 


अंगारकी चतुर्थी 10 जनवरी 2023को, 27 सालों बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी


मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकटा चौथ या संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार संकष्टि चतुर्थी 10 जनवरी मंगलवार को होने से अंगारकी चतुर्थी कहलाएगी। वर्ष भर में आने वाली चतुर्थी में यह चतुर्थी सबसे बड़ी है। मंगलवार को नक्षत्र की अनुकुलता के कारण चतुर्थी सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रही है। इस योग में की गई साधना उपासना मनोवांछित फल प्रदान करती है।


मंगलवार के दिन आश्लेषा नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होता है। साथ ही मंगलवार के दिन चतुर्थी आने से अंगारकी चतुर्थी का योग बनता है। इस दौरान कन्या अथवा बालक के शुभ विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो इस दिन का उपयोग कर लेने से अर्थात भगवान गणपति माता चौथ का पूजन करने से संकट बाधा निवृत्त हो जाते है। कार्य सिद्ध होता है। पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि 12 मास में आने वाली 24 चतुर्थीयों में 12 कृष्ण पक्ष की और 12 शुक्ल पक्ष की चतुर्थी होती है। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। माघ मास में आने वाली चतुर्थी बड़ी मानी जाती है। इस दृष्टि से इस व्रत को महिलाएं करती है।

   अंगारकी चतुर्थी का समय


    मंगलवार, जनवरी 10, 2023 को

 संकष्टी के दिन चन्द्रोदय 🌙 - 09:04 पी एम



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चतुर्थी मंगलवार को होने से यह अंगारकी चतुर्थी होगी। इस दिन प्रसिद्ध श्री मंगलनाथ मंदिर में विवाह आदि में आ रही बाधा दूर करने के लिए भगवान मंगलनाथ की भात पूजन कराने का विधान है। देशभर के भक्त इस दिन श्री मंगलनाथ और शिप्रा तट स्थित श्री अंगारेश्वर मंदिर में पूजन कराने पहुंचते है। इसी तरह श्री चिंतामन गणेश मंदिर, मंछामन गणेश मंदिर, सिद्धिविनायक गणेश मंदिरों में भगवान गणेश का पूजन करने के लिए श्रद्धालु उमड़ेगें।


नक्षत्रों की गणना में वर्षों बाद बना संयोग


इस बार अश्लेषा नक्षत्र में मंगलवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में अंगारकी चतुर्थी होने से यह विशेष प्रबल हो गई है। इस तरह का संयोग नक्षत्र मंडल की गणना से देखें तो 27 वर्ष के बाद बनता है। इस लिए व्रत के दिन विशिष्ट अनुष्ठान करना चाहिए।










साईबाबा की कहानी . बाघ की समाधि

8 अक्टूबर वह दिन होता है जब एक बाघ श्री साईं बाबा के चरणों और दिव्य उपस्थिति में अपनी मृत्यु से मिलता था और वर्ष 1918 में उनकी समाधि से सिर्फ सात दिन पहले मुक्त हो गया था।


साईबाबा की कहानी

#बाघ की समाधि


यह समाधि महादेव मंदिर के सामने है। श्री साईं सच्चरित्र अध्याय 31 में बीमार बाघ की लीला का वर्णन किया गया है। 1918 में, बाबा की महासमाधि से एक हफ्ते पहले, चार दरवेशियों और एक बीमार बाघ के साथ एक बैलगाड़ी द्वारकामाई के दरवाजे पर आई। दरवेशियों ने बाघ को अंदर लाने की अनुमति मांगी। उन्होंने उस बाघ का प्रदर्शन किया जो उनकी आय का स्रोत था। उन्होंने बाबा के चमत्कारी इलाज के बारे में सुना था, इसलिए वे उन्हें शिरडी ले आए थे। श्यामा ने बाबा को उनके अनुरोध के बारे में बताया और अनुमति दी गई।
बाघ को अंदर लाया गया। यह द्वारकामाई की सीढि़यों पर चढ़ गया, और कुछ सेकंड के लिए बाबा को प्यार से देखा। फिर उसने अपने पंजों को फैलाया और उन पर सिर रखकर नमस्कार किया। फिर उसने एक भयानक गर्जना की, अपनी पूंछ को जमीन पर धराशायी कर दिया और अंतिम सांस ली। बाबा ने अपनी जेब से 50 रुपये निकाल कर उन्हें दे दिए, इस प्रकार एक कर्ज चुकाया गया। यहां बाघ, दरवेशियों और बाबा के बीच ऋणानुबंध का बंधन हुआ और चक्र पूरा हुआ। बाघ ने बाबा के चरणों में सद्गति (मोक्ष) प्राप्त की, और दरवेशियों को 50 रुपये का कर्ज चुकाया गया।

शरद पूर्णिमा 2022

साईबाबा की कहानी





शरद पूर्णिमा पर करें ये अचूक उपाय,


बाबा ने मनुष्यों को ही नहीं, पशुओं को भी सद्गति दी।

उस समय बाबा के बगल में ज्योतिंद्र तारकड़ बैठे थे। बाद में, उन्होंने बाबा से पूछा कि बाघ और उनके बीच क्या हुआ था। बाबा ने उत्तर दिया, "वह बाघ अपनी बीमारी से भयानक पीड़ा से तड़प रहा था, और उससे मुक्त होने की याचना कर रहा था। मुझे इसके लिए बहुत दया आई इसलिए मैंने अल्लाह मिया से इसे फिर से जीवित करने और इसे मोक्ष प्रदान करने के लिए कहा। अब वह बाघ जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गया है। इसलिए मैंने उन्हें महादेव के मंदिर के सामने दफनाने के लिए कहा।


साईबाबा की कहानी



बाघ की मूर्ति

यह मूर्ति उस पत्थर के दाहिनी ओर है जिस पर बाबा विराजमान थे। इसे संस्थान द्वारा 12.11.1969 को स्थापित किया गया था और ओजर गांव के त्र्यंबकराव श्रीपथराव शिलाधर द्वारा प्रस्तुत किया गया था।



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श्री साई बाबांचे धूप आरती

*🌹जय जय साई*🌹
*🌹श्री साई बाबांचे धूप आरती दीप दर्शन श्री साईबाबा समाधी मंदिर शिरडी महाराष्ट्र*🌹
*शुकवार दि.०७ अक्टूबर २०२२*


                 🌻🌻धूप-आरती🌻🌻


*🐚श्री सच्चिदानंद सदगुरु साईनाथ महाराज की जय🐚*

*आरती साईबाबा । सौख्यदातार जीवा।*
*चरणरजातली । द्यावा दासा विसावा,  भक्ता विसावा ।। आ०।।ध्रु ०।।*
*जाळुनियां अनंग। स्वस्वरूपी राहेदंग ।*
*मुमुक्षूजनां दावी । निज डोळ्या या मम श्रीरंग ।। आ०।। १ ।।*
*जयामनी जैसा भाव । तया तैसा अनुभव ।*
*दाविसी दयाघना । ऐसी तुझीही माव ।। आ०।। २ ।।*
*तुमचे नाम ध्याता । हरे संस्कृती व्यथा ।*
*अगाध तव करणी ।  मार्ग दाविसी अनाथा ।। आ०।। ३ ।।*
*कलियुगी अवतार । सगुण परब्रह्मः साचार ।*
*अवतीर्ण झालासे । स्वामी दत्त दिगंबर ।। द०।। आ०।। ४ ।।*
*आठा दिवसा गुरुवारी । भक्त करिती वारी ।*
*प्रभुपद पहावया । भवभय निवारी ।। आ०।। ५ ।।*
*माझा निजद्रव्यठेवा । तव चरणरज सेवा ।*
*मागणे हेचि आता । तुम्हा देवाधिदेवा ।। आ०।। ६ ।।*
*इच्छित दिन चातक। निर्मल तोय निजसुख ।*
*पाजावे माधवा या । सांभाळ आपुली भाक ।। आ०।। ७ ।।*
            *(3) अभंग*

*शिर्डी माझे पंढरपुर । साईबाबा रमावर ।। १ ।।*
*शुद्ध भक्ती चंद्रभागा । भाव पुंडलिक जागा ।। २ ।।*
*या हो या हो अवघे जन । करा बाबांसी वंदन ।। ३ ।।*
*गणु म्हणे बाबा साई । धाव पाव माझे आई ।। ४ ।।*

                         *(३) नमन*

       *घालीन लोटांगण,  वंदिन चरण,*
       *डोळ्यांनी पाहीन रूप तुझे ।।*
      *प्रेमे आलिंगन,  आनंदे पुजिन,*
      *भावे ओवाळिन म्हणे नमः ।। १ ।।*
      *त्वमेव माता च पिता त्वमेव,*
      *त्वमेव बंधूश्च सखा त्वमेव ।*
      *त्वमेव विद्या द्रविण त्वमेव,*
      *त्वमेव सर्व ममदेव देव ।। २ ।।*
      *कायेन वाचा मनसैन्द्रीयेवा,*
      *बुध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावा ।*
      *करोमी यदन्यंसकल परस्मै,*
      *नारायणाइति समर्पयामी ।। ३ ।।*
      *अच्युतम केशवम् रामनारायणं,*
      *कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरी ।*
      *श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभम,*
      *जानकीनायकम् रामचंद्र भजे ।। ४ ।।*

                *(४) नामस्मरण*

     *हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।*
     *हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ( इति त्रीवार)*

                   *।।श्री गुरुदेव दत्त ।।*
                  *(५)  नमस्काराष्टक*
*अनंता तुला ते कसे रे स्तवावे ।* *अनंता तुला ते कसे रे नमावे ।।*
*अनंत मुखांचा  शिणे शेष गाथा ।* *नमस्कार साष्टांग श्रीसाईनाथा ।। १ ।।*
*स्मरावे मनी त्वत्पदा नित्य भावे ।* *उरावे तरी भक्तिसाठी स्वभावे ।।*
*तरावे जगा तारुनी मायताता ।* *नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। २ ।।*
*वसे जो सदा दावया संत लीला ।* *दिसे अज्ञ लोकापरी जो जनाला ।।*
*परी अंतरि ज्ञान कैवल्यदाता ।* *नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ३ ।।*
*बरा लाधला जन्म हां मानवाचा । नरा सार्थका साधनीभुत साचा ।।*
*धरु साईप्रेमा गळाया अहंता ।  नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ४ ।।*
*धरावे करी सान अल्पज्ञ बाला । करावे आम्हा धन्य चुंबोनि घाला ।।*
*मुखी घाल प्रेमे खरा ग्रास आता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ५ ।।*
*सुरादिक ज्यांच्या पदा वंदिताति । सुरादिक ज्यांचे समानत्व देती ।।*
*प्रयगादि तीर्थेपदि नम्र होता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ६ ।।*
*तुझ्या ज्या पदा पाहता गोपबाली । सदा रंगली चित्स्वरुपि मिळाली ।।*
*करी रासक्रीड़ा सवे कृष्णनाथा । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ७ ।।*
*तुला मागतो मागणे एक द्यावे । करा जोडितो दिन अत्यंत भावे ।।*
*भवि मोहनीराज हा तारी आता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ८ ।।*

                 *(६) प्रार्थना*

*ऐसा येई बा । साई दिगंबरा ।* *अक्षयरूप अवतारा। सर्वही व्यापक तू ।*
*श्रुतिसारा । अनुसया त्रिकुमारा । बाबा येई बा ।। ध्रु ।।*
*काशी स्नान जप, प्रतिदिवशी ।* *कोल्हापुर भिक्षेसि । निर्मल नदी तुंगा,*
*जल प्राशी । निद्रा माहुर देशी ।। ऐसा येईबा ।। १ ।।*
*झोळी लोंबतसे वाम करी । त्रिशुल डमरू धारी । भक्ता वरद सदा सुखकारी ।*
*देशील मुक्ति चारि ।। ऐसा येईबा ।। २ ।।*
*पायी पादुका । जपमाला कमंडलू मृगछाला । धारण करिशि बा ।*
*नागजटा मुगट शोभतो माथा ।। ऐसा येईबा ।। ३ ।।*
*तत्पर तुझ्या या  जे ध्यानी । अक्षय त्यांचे सदानि । लक्ष्मी वास करी दिनरजनी ।*
*रक्षिसि संकट वारुनि ।। ऐसा येईबा ।। ४ ।।*
*या परीध्यान तुझे गुरुराया । दृश्य करी नयना या। पूर्णा नंद सूखे ही काया ।*
*लाविसि हरीगुण गाया ।। ऐसा येईबा ।। ५ ।।*
                       
                        *(७)* *श्रीसाईनाथमहिम्नस्त्रोत्रम*
     
*सदा सत्स्वरूपं  चिदानंदकंदं, * *जगत्समभवस्थानसंहारहेतुम । *   
*स्वभक्तेछयामानुशं दर्शयन्तः,* *नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। १ ।।*
*भवध्वांतविध्वंसमर्तांडमिड्य,* *मनोवागतीतं मुनीर्ध्यानग्म्यम् ।*      
*जगदव्यापकं निर्मलं निर्गुणं त्वा,* *नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। २ ।।*
*भवांभोधीमग्नादिर्तानां जनानां,* *स्वपादाश्रितानां स्वभक्तिप्रियाणाम् । *     
*समुद्धारणार्थ कल्लो संभवंतं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ३ ।। *     
*सदा निंबवृक्ष्यस* *मूलाधिवसात्सुधास्त्राविणं तिक्तमप्यप्रियं तम् ।*      
*तरुं कल्पवृक्षाधिकं साधयंतं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ४ ।। *     
*सदा कल्पवृक्ष्यस तस्यधिमुले भवद्भावबुद्ध्या सपर्यादिसेवाम् ।*
*नृणा कुर्वतां भुक्तिमुक्तिप्रदं तं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ५ ।। *     
*अनेकाश्रुतातर्क्यलीला  विलासै: समाविश्र्कृतेशानभास्वत्प्रभावं ।*
*अहंभावहीनं प्रसन्नात्मभावं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ६ ।।*
*सतां:विश्रमाराममेवाभिरामं सदा सज्जनै: संस्तुतं सन्नमद्भि: ।*
*जनामोददं भक्तभद्रप्रदं तं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ७ ।।*
*अजन्माद्यमेकं परं ब्रम्ह साक्षात्स्व  संभवं-राममेवावतीर्णम् ।*        
*भवद्दर्शनात्स्यपुनीत: प्रभो हं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ८ ।।*
*श्री साईंशकृपानिधेखिलनृणां  सर्वार्थसिद्धिप्रद ।*
*युष्मत्पादरज:प्रभावमतुलं धातापि वक्ताक्षम: ।*
*सद्भ्क्त्या शरणं कृतांजलिपुट: संप्रापितोस्मि प्रभो,*
*श्रीमत्साईपरेशपादकमलान्यानछरणयं मम ।। ९ ।।*
*साईरूपधरराघवोत्तमं,  भक्तकामविबुधद्रुमं प्रभुम ।*
*माययोपहतचित्तशुद्धये,  चिंतयाम्यहमहर्निशं मुदा ।। १० ।।*
*शरत्सुधांशुप्रतिमंप्रकाश,  कृपातपात्रं तव साईनाथ ।*
*त्वदीयपादाब्जसमाश्रितानां स्वच्छयया तापमपाकरोतु ।। ११ ।।*
*उपसनादैवतसाईनाथ, स्तवैमर्यो पासनिना स्तुतस्वम ।*
*रमेन्मनो मे तव पाद्युग्मे , भ्रुङ्गो, यथाब्जे मकरंदलुब्ध : ।। १२ ।।*   
*अनेकजन्मार्जितपापसंक्षयो, भवेद्भावत्पादसरोजदर्शनात।*
*क्षमस्व सर्वानपराधपुंजकान्प्रसीद साईश गुरो दयानिधे ।। १३ ।।  *                
*श्री साईनाथचरणांमृतपूतचित्तास्तत्पादसेवानरता: सततं च भक्त्या ।*
*संसारजन्यदुरितौधविनिर्गतास्ते कवैल्याधाम परमं  समवाप्नुवन्ति ।। १४ ।।*
*स्तोत्रमेतत्पठेद्भक्त्या यो नरस्तन्मना: सदा ।*
*सदगुरो: साइनाथस्य कृपापात्रं  भवेद ध्रुवम ।। १५ ।।*       
   *(८) श्रीगुरुप्रसाद - याचना  - दशक*      
*रुसो मम प्रियांबिका, मजवरी पिताही रूसो ।*
*रुसो मम प्रियांगना, प्रियसुतात्मजाही रूसो ।।*
*रूसो भगिनी बंधुही,    श्र्वशूर सासुबाई रूसो ।*
*न दत्तगुरू साई मा, मजवरी कधीही रूसो ।। १ ।।*
*पुसो न सुनबाई त्या, मज न भ्रातृजाया पुसो ।।*
*पुसो न प्रिय सोयरे,  प्रिय सगे न ज्ञाती पुसो ।।*
*पुसो सुहृद ना सखा, स्वजन नाप्तबंधू पुसो ।*
*परी न गुरू साई मा मजवरी, कधीही रूसो ।। २ ।।*
*पुसो न अबला मुलें,  तरूण वृदही ना पुसो ।*
*पुसो न गुरू धाकुटे, मज न थोर साने पुसो ।।*
*पुसो नच भलेबुरे, सुजन साधुही ना पुसो ।*
*परी न गुरू साई मा, मजवरी कधीहीं रूसो ।। ३ ।।*
*रूसो चतूर तत्ववित, विबुध प्राज्ञ ज्ञानी रुसो ।*
*रूसोहि विदुषी स्त्रिया, कुशल पंडिताही रूसो ।।*
*रूसो महिपती यती, भजक तापसीही रूसो ।*
*न दतगुरू साई मा, मजवरी कधीहीं रूसो ।४ ।।।*
*रूसो कवी ऋषी मुनी, अनघ सिद्ध योगी रूसो ।*
*रूसो हि गृहदेवता, नि कुलग्रामदेवी रूसो ।।*
*रूसो खल पिशाच्चही, मलिन डाकिनीही रूसो ।*
*न दत्तगुरू साई मा, मजवरी कधीहीं रूसो ।। ५ ।।*
*रूसो मृग खग कृमी, अखिल जीवजंतु रूसो ।*
*रूसो विटप प्रस्तरा, अचल आपगाब्धी रूसो ।।*
*रूसो ख पवनाग्नि वार, अवनि पंचतत्वे रूसो ।*
*न दत्तगुरू साई मा, मजवरी कधीही रूसो ।। ६ ।।*
*रूसो विमल किन्नरा, अमल यशिणीही रूसो ।*
*रूसो शशि खगादिही, गगनिं तारकाही रूसो ।।*
*रूसो अमरराजही, अदय धर्मराजा रूसो ।*
* न दत्तगुरू साइ मा, मजवरी कधीही रूसो ।। ७ ।।*
*रूसो मन सरस्वती, चपलचित्त तेंही रूसो ।*
*रूसो वपु दिशाखिला, कठिण काल तोही रूसो ।।*
*रूसो सकल विश्वही, मयि तु ब्रह्मगोलं रूसो ।*
*न दतगुरू साइ मा, मजवरी कधींही रूसो ।। ८ ।।*
*विमूढ म्हणूनी हसो, मज न मत्सराही डसो ।*
*पदाभिरूचि उल्हासो, जननकर्दमी ना फसो ।।*
*न दुर्ग धृतिचा धसो, अशिवभाव मागें खसो ।*
*प्रपंचि मन हें रूसो,दृढ विरक्ति चित्ती ठसो ।। ९ ।।*
*कुणाचिही घृणा नसो, न च स्पृहा कशाची असो ।*
*सदैव हदयीं वसो, मनसि ध्यानिं साई वसो ।।*
*पदी प्रणय वोरसो, निखिल दृश्य बाबा दिसो ।*
*न दत्तगुरू साइ मा, उपरि याचनेला रूसो ।। १० ।।*
 
                     *(८) पुषपांजली*

*ॐ यज्ञेन यज्ञमयजंत देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्न ।*
*ते ह नाकं महिमानः सचंत यत्र पूर्वे साध्या संति देवा: ।।*
*ॐ राजाधिराजाय प्रसह्यसाहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।*
*स मे कामान्कामकामाय मह्यं कामेश्वरो वैश्रवणो दधातु।*
*कुबेराय वैश्रवणाय । महाराजा नमः । ॐ स्वस्ति ।*
*साम्राज्य्मं  भौज्य्मं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ठ्य*
*राज्य माहाराज्यमाधिपत्यमयं समंतपर्यायी*
*स्यात्सार्वभौमः सार्वायूष* *आंतादापरार्धात्*
*पृथिव्यैसमुद्रपर्यताया एकराळीती ।*
*तदप्येष श्लोकोsभिगीतो मरूतः परिवेष्टारो*
*मरूत्तस्यावसनगृहे आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवा: सभासद इति ।।*

*।। श्री नारायण वासुदेवाय सचिदानंद सदगुरु साईनाथ महाराज की जय ।।*
                     
                     *(१० ) प्रार्थना*
*करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा*
*श्रवणनयनजं वा मानसं वाsपराधम्*
*विदितमविदितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व*
*जय जय करुणाब्धे श्रीप्रभो साईनाथ*

*🌻।। श्री सच्चिदानंद सदगुरु साईनाथ महाराज की जय ।।🌻*
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